Friday, September 17, 2010

“ये मस्त श्री लंकंस हैं"

बॉसम को अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा बनाने वाली श्री लंका से आई मोरातुवा यूनिवर्सिटी की टीम से बॉसम हिंदी प्रेस की बातचीत के कुछ अंश :-

प्र. आपकी पिलानी तक की यात्रा कैसी रही ?

उ. श्री लंका से चेन्नई होते हुए दिल्ली तक के आसान सफ़र के पश्चात् ख़राब सड़को की वजह से दिल्ली से पिलानी तक का हमारा सफ़र कठिन रहा |

प्र. क्या आप भारत की किसी प्रतियोगिता में पहली बार भाग ले रहे हैं ?

उ. नहीं, इससे पहले भी एक बार हम P.E.S इंस्टिट्यूट बेंगलुरु जा चुके हैं |

प्र. क्या आपको बिट्स द्वारा बॉसम में पहली बार आमंत्रित किया गया है ?

उ. हाँ, हमें बॉसम में पहली बार आमंत्रित किया गया है |

प्र. आप कितने प्रतिभागी है और किन किन खेलों में भाग ले रहे हैं ?

उ. हम 17 पुरुष व् 4 महिला प्रतिभागी हैं जो कि बेडमिन्टन , टेबल टेनिस और तैराकी में भाग ले रहे हैं |

प्र. यहाँ की व आपके इंस्टिट्यूट की खेल कूद सुविधाओं में आपने क्या अंतर महसूस किया ?

उ. यहाँ पर खेल की संपूर्ण सुविधाएं उपलब्ध है परन्तु हमें कुछ खेल जैसे टेबल टेनिस की व्यवस्था थोड़ी अव्यवस्थित लगी | हमारे इंस्टिट्यूट में भी कई खेलो के लिए सुविधाएं उपलब्ध हैं |

प्र. बिट्स पिलानी द्वारा दी गयी सुविधाओं के बारे में आपका क्या विचार हैं ?

उ. हम यहाँ की ठहरने की सुविधाओं से संतुष्ट है लेकिन हमारे यहाँ व यहाँ के खान-पान में बहुत अंतर होने के कारण हमें खाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है |

प्र. क्या आप यहाँ के वातावरण में सहज महसूस कर रहे है ?

उ. यहाँ के वातावरण में हम सुखद महसूस कर रहे हैं | चारों ओर हरियाली देख कर आनंद आ रहा है |

प्र. आपको बिट्स कैसा लग रहा है ?

उ. बिट्स का कैम्पस काफी बड़ा है | चूँकि अभी हमें यहाँ एक ही दिन हुआ है, हमने ज़्यादा कुछ देखा नहीं है | आने वाले 4 दिनों में हम कैम्पस व आसपास की जगहों पर घूमना चाहेंगे विशेषकर बिरला संघ्रालय |

प्र. आपको किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ?

उ. हिंदी भाषा न आने के कारण स्थानीय लोग जैसे मेस के लोग, ऑटो वाले आदि से संवाद करने में दिक्कत हो रही है | यातायात साधनों की भी कमी महसूस हो रही है | आज हमें हमारे अभ्यास सत्र के समय पंजीकरण (रेजिस्ट्रेशन ) के लिए बुला लिया गया जिसके कारण हम अभ्यास नहीं कर पाए | हम ओर अच्छे समन्वय की आशा करते हैं |

प्र. आप कुछ और सुझाव इत्यादि देना चाहेंगे ?

उ. हम अगले बॉसम के लिए सुझाव देना चाहते हैं कि अगर प्रतिभागियों के मनोरंजन के लिए डी. जे.रात्रि का आयोजन किया जाये तो इसे और सफल व मनोरंजक बनाया जा सकता है | बाहर से आये हुए प्रतिभागियों के लिए इन्टरनेट सुविधाओं की व्यवस्था करनी चाहिए | हम बिट्स के विद्यार्थियों से मदद की उम्मीद रखते हैं | अंत में हम यही आशा करते है कि बिट्स हमें अगले वर्ष भी आमंत्रित करेगा |

बॉसम 2010 का शानदार आगाज़

बॉसम 2010 का शानदार शुभारंभ आज जिम-जी में हुआ | सायं 7.30 बजे तक सभी प्रतिभागी तथा समूची बिट्सियन जनता एकत्रित हो गयी थी | कार्यक्रम के प्रारंभ में सेक्रेटरी, जॉइंट सेक्रेटरी तथा कोसकन्स के परिचय के बाद सभी कॉलेजों की टीमों को बास्केटबाल कोर्ट में बुलाया गया | इसके बाद स्पोर्ट्स सेक्रेटरी विशाल अग्रवाल ने बॉसम के अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचने के लिए ख़ुशी जताई और सभी खिलाड़ियों और मेहमानों का धन्यवाद करते हुए खेलों के बेहतरीन आयोजन की कामना की |
इसके बाद मुख्य अतिथि अर्जुन पुरस्कार विजेता गोपाल सैनी जी ने खेलों के महत्त्व पर प्रकाश डाला | उन्होंने सचिन तेंदुलकर और पी.टी उषा का उदाहरण देते हुए कहा कि शिक्षा के साथ साथ खेल कूद एवं व्यायाम भी आवश्यक है तथा खेल जगत में प्रतिभा भी आपको सफलता के शिखर तक ले जा सकती है | साथ ही उन्होंने 70-80 के दशक से अभी तक खेलों की स्तिथि में अत्यधिक सुधार के बारे में भी सूचना दी और कहा कि अब खेलों का स्तर काफी ऊँचा हो गया है | अंत में उन्होंने सभी खिलाड़ियों को संघर्षशील बनने की प्रेरणा दी | इसी के साथ स्पोर्ट्स सेक्रेटरी ने सभी प्रतिभागियों को उनके साथ खेल शपथ लेने के लिए कहा |
जनता में हलचल तब मची जब डांस क्लब ने अपने मनमोहक करतब दिखाने आरम्भ किये | सभी ने उनके उम्दा नृत्य का लुत्फ़ उठाया | सी.सी.टी.वी द्वारा बॉसम के कुछ प्रायोजकों के विज्ञापन भी प्रसारित किये गए | जॉइंट सेक्रेटरी अनुभा जैन ने धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान सभी उपस्थित अतिथि डॉ.बी.वी बाबू, डॉ. राजीव गुप्ता, चीफ वार्डेन एस.के. वर्मा तथा गोपाल सैनी का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया | परन्तु जैसा कि कहते हैं कि ‘पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त’, वही आज इस उद्घाटन समारोह में भी हुआ | अंत में हुई रंग बिरंगी आतिशबाजी से समूचा आसमान जगमगा उठा और इसने सभी का मन मोह लिया |
इसके बाद बिट्स पिलानी व सेंट मार्टिंस, मुंबई के बीच मैत्री बास्केटबाल मैच भी हुआ | इस अत्यंत रोमांचक मुकाबले का अंत बराबरी पर हुआ |

बॉसम मुख्य अतिथि – ‘ एक मुलाकात'

बॉसम 2010 के मुख्य अतिथि थे श्री गोपाल सैनी |
प्रस्तुत हैं उनसे हमारी बातचीत के कुछ अंश |

बी.एच.पी : हम बिट्स पिलानी में आपका स्वागत करते हैं |
श्री सैनी: धन्यवाद |

बी.एच.पी : बॉसम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रण पर आपकी प्रतिक्रिया क्या थी और बिट्स तक आपकी यात्रा कैसी रही?
श्री सैनी: मुझे गत वर्ष भी बॉसम पर आमंत्रण मिला था किन्तु किसी अनिवार्य कार्यवश मैं यहाँ आ न सका | किन्तु बिट्स एवं बॉसम की प्रसिद्धि हमेशा से आकर्षण का स्रोत रही हैं और इसलिए मैं यहाँ आकर अति प्रसन्न हूँ | यहाँ तक की यात्रा काफी कुशल रही |

बी.एच.पी : एथलेटिक्स से आपके लगाव ने आपको अर्जुन अवार्ड तक पहुँचाया ,लेकिन इसकी शुरुआत कहाँ से हुई तथा जीवन में आपके प्रेरणा स्रोत कौन रहे हैं ?
श्री सैनी : मैं अपने छात्र जीवन से ही एथलेटिक्स के प्रति काफी उत्साहित रहता था | प्राथमिक कक्षाओं में जब था, तब अपने प्रवर छात्रों को खेलते देख काफी प्रेरणा मिलती थी और एथलेटिक्स में कुछ कर दिखाने की इच्छा मन में उठी | तभी से ही प्रयास आरम्भ कर दिए | मैंने अपने घर के समीप स्थित रेलवे लाइन के बगल में ही, एथलेटिक ट्रैक के समान दौड़ना शुरू किया और खूब अभ्यास किया | इसके बाद स्कूल एवं कॉलेज स्तर पर प्रदर्शन किया और उपलब्धियां अर्जित कीं | मैंने सर्वप्रथम कालीकट में इंटर यूनीवर्सिटी स्पोर्ट्स में बड़ी प्रतियोगिताएं जीतीं तथा फिर कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा |

बी.एच.पी : टोक्यो में 1981 में ‘स्टीपलचेज़ रेस‘ में आपने भारत की ओर से राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किया | इस बात का हमें फक्र है | इस अवसर का आपके जीवन में क्या महत्व है ?
श्री सैनी : जीवन में जब एथलेटिक्स को अपना लक्ष्य बनाया तभी से कुछ शानदार करने की तमन्ना थी | इन खेलों में मैंने अपने लक्ष्य के कुछ पहलुओं को पूरा करने की पुरज़ोर कोशिश की और आशानुरूप अच्छा फल भी मिला | इस मौके का मेरे लिए अद्वितीय महत्व है जहाँ मैं अपने देश को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर आगे ले जाने में छोटा सा किरदार निभा सका | यह अवसर मेरे जीवन में बहुत प्रेरणादायक रहा है | इसी प्रेरणा ने मुझे अन्य एशियाडों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उत्साहित रखा |

बी.एच.पी: 1980 में ‘ मॉस्को समर ओलंपिक्स ‘ में भारत की ओर से प्रतिभागिता करना कैसा अनुभव था ?
श्री सैनी : ओलंपिक्स, खेलों का महाकुम्भ है और इनमें एक प्रतिभागी के तौर पर जाना किसी स्वप्न से कम न था | वर्षों का प्रयास और प्रबल इरादों ने मुझे वहाँ पहुँचाया और मैं काफी प्रसन्न और गौरवान्वित महसूस कर रहा था | वहाँ अन्य देश के श्रेष्ठ खिलाड़ियों से मुलाकात एवं मुकाबले से मन को हर्ष हुआ और काफी कुछ सीखने को भी मिला |

बी.एच.पी: आप के अनुसार बॉसम जैसे खेल उत्सवों का क्या महत्व होता है ?
श्री सैनी: इस प्रकार के खेल उत्सवों से विभिन्न कॉलेजों के छात्रों को आपस में मिलने-जुलने और मित्रता करने का अवसर मिलता है | साथ ही उन्हें अन्य खिलाड़ियों की संस्कृतियों के विषय में पता चलता है | और सबसे मुख्य बात ये छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए बहुत आवश्यक हैं | आज के इस तनाव भरे जीवन में खेल कूद एक सुगम विकल्प प्रदान करते हैं | शरीर तो स्वस्थ रहता ही है , इनसे छात्रों में एक स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना आती है और उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका मिलता है |

बी.एच.पी: आज देश में खेलों की दशा पर आप क्या टिप्पणी करेंगे ? क्या आप के विचार से IPL और अधिकाधिक क्रिकेट ने अन्य खेलों को प्रभावित किया है ?
श्री सैनी : आज अन्य खेलों की स्थिति के लिए खेल एवं खिलाड़ी दोनों जिम्मेदार हैं | जहाँ लोगों ने खेलों को आर्थिक लाभ का ज़रिया बना लिया है वहीं खिलाड़ी भी रातोंरात नाम और शौहरत की चाहत रखने लगे हैं | उन्हें समझना चाहिए की अन्य खेलों पर भी बराबर ध्यान से ही हम आगे बढ़ सकते हैं और देश को अंतर्राष्ट्रीय खेलों में आगें ले जा सकते हैं | खिलाड़ियों के लिए अन्य खेलो में भी पर्याप्त अवसर हैं, ज़रूरत है तो बस अपनी प्रतिभा पहचानने की, प्रयास और मज़बूत इरादों की | हमें सभी खेलों को जीवंत रखना है और खेलों को आर्थिक लाभ का ज़रिया नहीं बनने देना है |

बी.एच.पी : एक खिलाड़ी के तौर पर, आप के अनुसार, ‘कॉमनवेल्थ गेम्स ‘ का आयोजन भारत के लिए कैसा अवसर है ?
श्री सैनी : यह एक सुनहरा अवसर है | अन्तराष्ट्रीय स्तर के एरीना और कोर्ट्स तैयार किए गए हैं | आशा है कि हमें भारतीय एवं विदेशी खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन देखने को मिलेगा | इन खेलों से भारत सम्पूर्ण विश्व को एकता और खेलभावना का पैगाम दे सकेगा |

बी.एच.पी : आपने अपने बेशकीमती समय से हमारे लिए दो क्षण निकाले, इसके लिए धन्यवाद |

Sunday, September 5, 2010

मरुधरा नाईट - "रंगबरी"

अगस्त माह के प्रारम्भ से ही बिट्स कैम्पस में चारों ओर यह चर्चा आम थी कि इस सत्र की पहली असॉक नाइट कितनी प्रभावशाली और मनोरंजनकारी होगी | अंततः जब 26 अगस्त की रात को 8 बजे “मरुधरा” की सांस्कृतिक नाईट “ रंगबरी ” आरम्भ हुई तो आशा अनुरूप एक बड़ी जनसंख्या इस समारोह को देखने पहुँची |

समारोह का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व एस.डब्ल्यू. डी. डीन - श्री बी.वी.बाबू के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से किया गया | इसके पश्चात प्रकाश व चिराग ने “बिन तेरे” गीत से इस नाईट की धमाकेदार शुरुआत की | तत्पश्चात् “आई हेट लव स्टोरीज़’’ पर किये गए नृत्य ने सम्पूर्ण सभागार को प्रफुल्लित और आह्लादित कर दिया |

आरम्भ में कलाकारों, मुख्यतः प्रथम वर्ष के कलाकारों के मन में हिचकिचाहट और भय साफ़ नज़र आ रहा था क्योंकि इतनी बड़ी बिट्सियन जनता के समक्ष गलतियों की गुंजाइश न्यून करना काफी कठिन होता है परन्तु फिर भी मंच पर कलाकारों की परिपक्वता दर्शनीय थी तथा जिस सम्पूर्णता के साथ वे अपने हुनर की प्रस्तुति कर रहे थे , वह वास्तव में सराहनीय थी |

कुछ और बेहतरीन मंचनों के बाद समय था “चाचू” माईम का | हालांकि पूरी माईम में दोहरे अर्थ वाले अनेक वाक्यांशों का प्रयोग किया गया था लेकिन इसके मंचन के दौरान और पश्चात् जनता ने अपने मनोरंजन का प्रमाण अपनी अविरल तालियों से दिया | फिर मंच पर आई “चिराग” और “निशांत” की जोड़ी ; जिन्होंने महान पार्श्व-गायक मो. रफ़ी के कई ऐतिहासिक गानों पर गायन और वादन की जो छटा पेश की, वो भुलाई नहीं जा सकती | मनोरंजन के इस कारवां को बढ़ाने का काम किया “बेव- 3डी” और “फर्स्ट लव” नामक प्रस्तुतियों ने | बीच बीच में जनता ने “इन्क़लाब ज़िंदाबाद” और “भारत माता की जय” जैसे नारे लगाकर पूरे ऑडी में देशभक्ति की एक लहर सी दौड़ा दी |

“स्टेप अप” पर किये गए शानदार हिप- हॉप नृत्य ने तो जैसे पूरे समां को एक पल के लिए थाम सा लिया | इस प्रस्तुति पर पूरी दर्शक-दीर्घा खुशी से झूम उठी | इसके बाद निशांत, अंकुर और समग्र की तिकड़ी ने जब ‘आयशा’ फ़िल्म का “शाम” नामक गीत गाया तो उसकी प्रशंसा तहेदिल से हुई और पूरी जनता ने उनके साथ “पारा – पारा” गाते हुए उनका भरपूर साथ दिया |

दिल तो बच्चा है जी” पर स्वप्निल, रॉबिन और सुरभि द्वारा किये गए नृत्य को भी काफी सराहा गया |

कुल मिलाकर सत्र की पहली “नाईट” काफी मनोरंजनकारी सिद्ध हुई | महज़ 25 दिनों के अंदर ही तैयारियां करके मरुधरा ने यह काबिले-तारीफ़ नाईट प्रस्तुत की और अंततोगत्वा बिट्स में होने वाली विभिन्न साँस्कृतिक गतिविधियों का प्रथम अध्याय सफलतापूर्वक समाप्त हो गया |