ए.एस.पिल्लई
पेप द्वारा आयोजित अतिथि व्याख्यान में कल दोपहर ब्रह्मोस एरोस्पेस के सी.ई.ओ., एम.डी., ए.एस.पिल्लई ने LTC में छात्रों को मिसाइल क्षेत्र में भारत के अभियान के बारे में बताया |
उन्होंने बताया कि कैसे विकसित देश अपनी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके विकासशील देशों के तकनीकी विकास पर कड़ी निगरानी रखते हैं व उसमें अड़चनें पैदा करते हैं | उनके अनुसार भारत उन ग्यारह देशों में से एक है जिसके पास 1000 किमी से ज़्यादा परास (रेंज) की मिसाइल है | भारत ने रूस के साथ मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण किया है जो ध्वनि की गति से भी तेज चलने वाली, विश्व की एकमात्र मिसाइल है | और फिलहाल हाईपर-सोनिक मिसाइल का कार्य प्रगति पर है | ब्रह्मोस मिसाइल की गति, परिशुद्धता और उसकी अद्वितीय मारक क्षमता के कारण भारत इस क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ बन गया है | उनके अनुसार मात्र 150 मिलियन डॉलर की लागत से बनी यह मिसाइल 10 बिलियन डॉलर का बिज़नेस कर रही है और आज इसकी मांग न सिर्फ अपने देश में बल्कि पूरे विश्व में है |
उनका मानना है कि भारत के युवाओं में वह शक्ति है जो कुछ भी करने में सक्षम है | एक बार अमेरिका ने भारत को सुपर-कम्प्यूटर देने से इंकार कर दिया था तो भारत ने अपने अथक परिश्रम से मात्र दो वर्षों में ही उससे भी बीस गुना ज़्यादा तेज़ सुपर-कम्प्यूटर का निर्माण किया | उनके विचार से भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लिये हमें एकजुट होकर प्रयत्न करना होगा | अन्त में छात्रों की जिज्ञासा को शांत करते हुए भारत के राष्ट्रगान के साथ उन्होंने अपना व्याख्यान समाप्त किया |
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