Wednesday, April 6, 2011

साक्षात्कार : मुख्य अतिथि : श्री प्रभु चावला



ए.एच.पी : इतनी बड़ी संख्या में युवाओं के समक्ष उपस्थिति देकर आपको कैसा लग रहा है?
प्रभु चावला : युवाओं का उत्साह देखकर काफी हर्ष हुआ | यहाँ आने से पूर्व ही मुझे यह पता था कि यहाँ के छात्र अत्यंत होनहार एवं काबिल हैं | अतः यहाँ आकर ज्ञान बांटना मेरा अभिप्राय नहीं था | यहाँ आकर मैंने छात्रों से काफी कुछ सीखा जिन्होंने अपोजी जैसा इतना बड़ा उत्सव आयोजित किया है| थोड़ा बहुत तो सोचा था कि यहाँ आकर क्या-क्या बोलना है किन्तु यहाँ के छात्रों के उत्साह ने मुझे भी एक कॉलेज के युवा जैसा अनुभव करा दिया और शायद इसलिए मैं भी उन्हीं की मस्ती में रम गया |

ए.एच.पी.- जब आप किसी से प्रश्न पूछते हैं तो आप के जहन में क्या होता है? किसी से भी बेबाक प्रश्न करते समय आप क्या सोचते हैं ?
प्रभु चावला : मेरे सभी प्रश्न जनता के ही प्रश्न होते हैं | इसलिए उन्हें करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती | मैं अपने शो में आये व्यक्ति को अतिथि नहीं मानता और मेरा लक्ष्य होता है अटैककरना और सत्य को उगलवाना एक बार मैंने अपने शो में आये एक व्यक्ति से एक ही प्रश्न तब तक नौ बार पूछा जब तक मैं उसके उत्तर से संतुष्ट नहीं हो गया |

ए.एच.पी : आपने 1980 में 11 वर्ष उपरांत एक लेक्चरर की भूमिका से हटकर पत्रकारिता जगत में कदम रखा | आपको अपने लक्ष्य को पहचानने में क्या 11 वर्ष लग गए?
प्रभु चावला : नहीं ऐसी बात नहीं है | एक पत्रकार के रूप में मैं स्वयं को ज्यादा स्वतंत्र एवं प्रभावशाली महसूस करता हूँ | पत्रकारिता में प्रभुत्व तो रहता ही है, साथ ही आर्थिक रूप से भी काफी सुदृढ़ता आ जाती है जोकि एक लेक्चरर के रूप में नहीं मिल पाती | मैंने पत्रकारिता में कड़ी मेहनत से लोगों से आगे निकल कर अपना मुकाम बनाया और नाम कमाया |

ए.एच.पी. : आपके लौबिस्ट पर क्या विचार हैं?
प्रभु चावला :हाँ, पत्रकारिता जगत में कई लोग नेताओं और बड़े बिजनेस टाइकून्स के प्रभाव में आ जाते हैं | किन्तु मैं इस सन्दर्भ में काफी खुले विचारों वाला हूँ | मैंने एक बड़े बिजनेस हाउस से हुई अपनी सम्पूर्ण वार्ता अपने ब्लॉग पर डाल रखी है | आप मेरे ब्लॉग prabhuchawla.blogspot.com पर इससे सम्बंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं | साथ ही मेरे कॉलम ‘Ask Prabhu’ पर आप अपने प्रश्न पूछ सकते हैं | मैं इसपर रोज़ करीब 20-25 प्रश्नों के जवाब देता हूँ|

ए.एच.पी. : “पेड न्यूजऔर मीडिया एथिक्सपर आपके क्या विचार हैं ?
प्रभु चावला : हाँ, “पेड न्यूजका प्रचलन चुनाव के समय ज्यादा होता हैं और मुझे भी इससे सम्बंधित ऑफर आये हैं लेकिन मै कभी इसके प्रभाव में नहीं आया | उच्च पदों पर कार्यरत लोगों के इस सम्बन्ध में क्या विचार हैं, मैं इस बात पर ज्यादा प्रकाश नहीं डाल पाऊंगा | हाँ, आजकल मीडिया एथिक्सका लगातार ह्रास हो रहा है| हमारे यहाँ हम इस बात पर ज़ोर देते हैं कि पत्रकार इनका सख्ती से अनुपालन करें किन्तु यह सत्य है कि पूर्ण रूप से हम भी सफल नहीं हैं|

ए.एच.पी : क्या, आज आप के वक्तव्य का केन्द्रीय विषय बॉयफ्रैंड और गर्लफ्रैंड पर आधारित था ?
प्रभु चावला : जब मैंने सारे कॉस्टन के इंट्रो देखे तो सब में एक चीज़ सामान्य थी, वह कि सभी के गर्लफ्रैंड के बारे में ज़िक्र; इसलिए मैंने अपने वक्तव्य में दर्शकों के मूड को देखते हुए इनका बारम्बार प्रयोग किया |

ए.एच.पी. : आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देते हैं ?
प्रभु चावला : इसका श्रेय मेरी पत्नी को जाता जो मुझे 35 वर्षों से झेल रही है |

ए.एच.पी. : आप अपोजी में छात्रों को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
प्रभु चावला : मैं बस यही सन्देश देना चाहूँगा कि सवाल  करो” | जितने ज्यादा आप प्रश्न करेंगे उतना ही ज्यादा नया सीख सकेंगे और ज्ञान वर्धन होगा |

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