Wednesday, April 6, 2011

उद्घाटन समारोह- अपोजी 2011


जिसके लिए हर शख़्स बेकरार था
जिस घड़ी का हमें कब से इंतज़ार था |
लफ्ज़ कम पड़ जायेंगे, हम कह न पाएंगे
कभी न भूलेगा वो लम्हा इतना यादगार था||”
कुछ ऐसी ही शब्दलता मन में अनायास उठती है जब अपोजी 2011 के अद्भुत आगाज़ के वो मनोरम दृश्य आँखों के समक्ष जी उठते हैं| सभी कॉस्टन, डिपार्टमेंट्स, क्लब्स और संघों की कई माह की कड़ी मेहनत और लगनशीलता तब सफल हुई जब 25 मार्च की संध्या को बिट्स पिलानी का ऑडिटोरियम गूँजती तालियों से झूम उठा और आगाज़ हुआ बिट्स के 29वें वार्षिक तकनीकी महोत्सव अपोजी 2011का |
हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है,
हम अकेले नहीं चलते दवा भी साथ चलती है |”
-प्रभु चावला
उद्घाटन समारोह की शुरुआत सुप्रसिद्ध पत्रकार और संपादक माननीय प्रभु चावलाके गरिमामयी आगमन से हुई| सभी कॉस्टन एवं आदरणीय रघुरामा सरकी उपस्थिति में उन्होंने दीप प्रज्वलित कर एक बेहतरीन शाम का आगाज़ किया| प्रेसिडेंट गोविन्दम यादव द्वारा स्वागत के पश्चात प्रभु चावला ने मंच संभाला और कोई व्याख्यान न देते हुए उन्होंने अपने ही अंदाज़ में समस्त जनता से बस कुछ सीधेसच्चेसवाल पूछे |
समारोह को आगे बढ़ाते हुए अक्युत-4’ की प्रस्तुति ने समां बाँध दिया| हाँलाकि प्रारंभ में कुछ तकनीकी खा़मियों के कारणवश अक्युत मंच पर प्रस्तुति नहीं दे पाया था परन्तु अंततः जब उसने लोगों के समक्ष आकर अविस्मरणीय करतब दिखाए तो हर चेहरा अवाक् रह गया| तत्पश्चात सभी लोगों को डी-लॉन्स में आमंत्रित किया गया जहाँ सभी ने चायनीज़ लेंटर्न्सजलाकर हवा में उड़ाए और बिट्स के आकाश को रोशनी से जगमगा दिया|
अंत में सबका मनोरंजन करने मंच पर आये कनाडा के प्रख्यात तकनीकी जादूगर क्रिस्टोफर जेम्सने अपने शानदार कारनामों से लोगों का दिल जीत लिया| अपने प्रत्येक जादू के लिए उन्होंने दर्शक दीर्घा से छात्र व सुन्दरछात्राओं को बुलाया और अत्यंत करीबी से अविश्वसनीय जादूगरी दिखाकर विस्मित कर दिया| समारोह के समापन पर उन्होंने ड्रम्स पर भी अपना जौहर दिखाया और लोगों को थिरकने पर मजबूर कर दिया|
इस प्रकार बिट्स पिलानी के वार्षिक तकनीकी महोत्सव अपोजी-2011’ के 29वें संस्करण का भव्य एवं अलौकिक आगाज़ हुआ जिसके आधार पर अगले चार दिनों में होने वाले शानदार आयोजनों से उम्मीदें और भी पुख्ता हो चुकी हैं|
इस पतवार का दामन ना छोड़ोअभी डूबी नहीं है ये नाव|
इसे मंजिल मत समझो मेरे यारों.. ये है महज़ एक पड़ाव ||

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