Saturday, September 19, 2009

बस यूँ ही

हमारा यह चार दिवसीय खेल महोत्सव अपने पूरे शबाब पर है | हर तरफ जोश एवं ऊर्जा की धारा सी प्रवाह होती प्रतीत होती है | वो कैम्पस की हलचल, नए नवेले चेहरे एवं दूसरों के "प्रभाव" में आकर बदले बदले से लग रहे कुछ अपने भी चेहरे, वो रातों को जाग जाग कर काम करना, वो अपने जिम-जी के बगल से गुज़रते हुए डोमिनोज की खुशबू, यह सब कुछ, नया नहीं है | बल्कि अब तृतीय वर्ष में तो ये सब काफी जाना पहचाना, अपना सा लगता है |

परन्तु यदि कुछ नया था तो वह था सुबह सुबह उठ कर असाइंमेंट पूरा कर उसे गंतव्य तक करने की मशक्कत, आप तक खबरें पहुँचने की कयावाद के बीच अपने कुछ ट्युट्स की खबर लेने की असफल कोशिश…वास्तव में ..एक तरफ यह उत्सव सा माहौल देश भर से आये मेहमानों की यथोचित देखभाल एवं सत्कार के प्रयासों के बीच, इन सब के द्वारा हमसे क्या अपेक्षित है, यह समझ के बाहर है | आखिर एक खेल महोत्सव सिर्फ खिलाड़ियों से तो संपन्न होता नहीं बल्कि उनके समानान्तर परिश्रम होता है अन्य परिश्रमी जनता का, जो अपना पूरा जी-जान लगाती है उन सभी पहलुओं पर, जिससे की खिलाडी अपना ध्यान पूरी तरह से सिर्फ खेल पर टिका सकें | ऐसे में एक ही दिन में यह 2 तरह की दिनचर्या ?  हैरान करने वाली हो जाती है | जब सभी को इस बात का इल्म है की यह एक पूरी तरह से छात्र-छात्राओं द्वारा ही प्रबंधित फेस्ट है , ऐसे मूल्यांकित होने वाले सेशंस का क्या आशय !!
खैर, एक बार पुनः , ये तो "उपरवाले" ही जानें !!

एक और बात, यह भी सुनने में आया है की कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अभी भी किसी सामान्य दिवस की भांति सुबह उठकर !!! क्लासें लगाते हैं एवं कमरों में आकर पढ़ते हैं एवं और पढ़ते हैं एवं थोडा और पढ़ कर फिर सो जाते हैं!! अर्थात बस बाहर कुछ ही कदम दूर एक वृहद् महोत्सव का आयोजन हो रहा है पर इससे उन्हें कोई फरक नहीं पड़ता | तो मेरे भाइयों, कक्षाएं अवश्य जाओ, सारी जाओ, हर बारी जाओ, पर इतना भी निर्विकार न रहो अपने इस आयोजन से | हर मौके पर किसी न किसी के लिए कुछ खास तो होता ही है | तो अपने लिए भी इस मौके पर कुछ खास, कुछ यादगार बनाओ… कुछ नहीं तो खेल तो अवश्य ही देखो वरना कहीं ऐसा नहो की 4 साल युहीं गुज़र जायें और जब आप यहाँ से जायें, तो साथ ले जाने के लिए मुट्ठी भर यादें भी न हो !!
सो.. जी भर कर लुत्फ़ उठाइए… इस जोश एवं जूनून की अभिव्यक्ति के वृहद् मंच का ..यहाँ सबले लिए कुछ न कुछ तो है ही… तो चुन लीजिये अपनी मंजिल…

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