Monday, February 21, 2011

अतिथि व्याख्यान – सर हेरोल्ड वॉल्टर क्रोटो


अपोजी का स्वर्णिम इतिहास विश्व–प्रसिद्ध हस्तियों के अतिथि व्याख्यानों से भरा हुआ है जैसे कि– CERN में कार्यरत एकमात्र भारतीय वैज्ञानिक डॉ. अर्चना शर्मा, विकीपीडिया के संस्थापक  जिमी वेल्स, भारत के मिसाइल मैन डॉ ए.एस.पिल्लई इत्यादि | अपोजी 2011 में इसी कड़ी में एक नाम और जुड़ने जा रहा है – “सर हेरोल्ड वॉल्टर क्रोटो” का | इस बार अपोजी से पूर्व ही पेप द्वारा 20 फ़रवरी 2011 को L.T.C. में सर हेरोल्ड वॉल्टर क्रोटो का लेक्चर किया गया |
सर हेरोल्ड वॉल्टर क्रोटो एक अंग्रेज़ रसायनशास्त्री हैं जिन्होनें अपनी खोज बकमिन्स्टरफुलरीन के लिए 1996 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया |1970 में सर क्रोटो और उनकी टीम ने लंबे कार्बन अणुओं के स्पेक्ट्रल सबूत खोजने चालू किये जिसके चलते उन्होंने C-60 अणु की खोज की | यह लेक्चर पहले से ही रिकॉर्ड किया था जिसकी अवधि लगभग 45 मिनट थी | इसके पश्चात “स्काइप” के द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये सभी छात्रों ने सर क्रोटो से अपनी शंकाएँ दूर करीं |
सर क्रोटो के बारे में अधिक -
सर क्रोटो
बचपन में उनपर एक मेक्कानो सेट ने जादू कर दिया जिसके फलस्वरूप उनकी वैज्ञानिक अन्वेषण में रूचि बढ़ी | उनकी केमिस्ट्री में दिलचस्पी डॉ. विल्फ जेरी और उनके रस्द्द्रव्यों के संचालन में निपुणता के कारण बनी | उन्हें हमेशा से ही रसायनों की गंध तथा लैब में उनके छोटे-मोटे धमाके और उनसे जुड़े खतरे आकर्षित किया करते थे | उन्होंने शिफील्ड यूनीवर्सिटी से 1961 में B.Sc. और 1964 में PhD की  शैक्षिक उपाधि प्राप्त की | 1995 में उन्होंने ‘वेगा साइंस ट्रस्ट’ नामक एक शैक्षणिक संगठन की स्थापना में मदद की जिसका प्रमुख कार्य था विज्ञान फिल्में बनाना, नोबेल पुरस्कृत लोगों के साक्षात्कार लेना, टीवी तथा इंटरनेट के लिए अध्यापन साधन प्राप्त कराना और कैरियर सलाह देना | 2002 से 2004 तक वे ‘रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री’ के जनाधिपति भी थे | पिछले कई वर्षों से वे नैनो तकनीक पर अन्वेषण कर रहे हैं |

Wednesday, February 16, 2011

बिट्स में दो दिवसीय वर्कशॉप सम्पन्न

बिट्स पिलानी में 14 व 15 फरवरी को दो दिवसीय वर्कशॉप आयोजित की गयी जिसका मुख्य विषय था बढते समय के साथ थर्मल पावर प्लांट्स की घटती कार्यक्षमता के सम्बन्ध में जानकारी बांटना एवं इस क्षेत्र में प्रगति के नए उपाय तलाश करना | इस कार्यक्रम की शुरुआत 14 फरवरी प्रातः 10 बजे प्रो. जी. सुन्दर एवं प्रो. आर. एन. साहा की विशिष्ट उपस्तिथि में हुई | इस अवसर पर पावर प्लांट के क्षेत्र से जुड़ी कई नामी हस्तियों ने शिरकत की जिनमें श्री यशवंत रानावडे (प्रमुख – लाइफ एक्सटेंशन सर्विसेस, थर्मेक्स, पुणे), प्रो. ए. के. शुक्ला (वैज्ञानिक- सी.एम.ई.आर.आई.,दुर्गापुर), डॉ. प्रवीण सिंग्रू (प्रमुख- मैकेनिकल विभाग- बिट्स गोवा) मुख्य लेक्चरर थे |

सी.एस.आई.आर. एवं यू.जी.सी. द्वारा प्रायोजित इस वर्कशॉप में पावर प्लांट्स की क्षमता को बढ़ाने के क्षेत्र में इस नवीन प्रयास का स्वागत करते हुए कई जानीमानी कंपनियों जैसे एस.आर. पावर, एन.टी.पी.सी.-दादरी, एन.टी.पी.सी.-रामागुंदम, थर्मेक्स सहित कुल 9 स्थानों के प्रशिक्षित लोगों ने शिरकत की और इस वर्कशॉप से लाभान्वित हुए | ऊर्जा के क्षेत्र में इस प्रकार के प्रगतिशील प्रयासों की ओर विद्यार्थी भी अत्यंत उत्साहित दिखे और पूरी तन्मयता के साथ इस वर्कशॉप में भाग लिया |

कार्यक्रम के पहले दिन उन महत्त्वपूर्ण खामियों के बारे में लोगों को अवगत कराया गया जो प्रायः हर 25-30 वर्ष पुराने पावर प्लांट में देखने को मिलती हैं | दूसरे दिन भी यही सिलसिला जारी रखते हुए विशिष्ट अतिथियों ने उन वास्तविक कठिनाइयों के बारे में चर्चा की जो आजकल के पावर प्लांट्स में देखने को मिलती हैं | तत्पश्चात इन खामियों के सुधर हेतु उपायों पर भी विचार किया गया | इस प्रकार इस ज्ञानवर्धक वर्कशॉप का समापन हुआ |

माननीय  पी. श्रीनिवासन(सहायक प्रो.) एवं श्री शरद श्रीवास्तव (लेक्चरर) के नवीन प्रयासों द्वारा आयोजित इस वर्कशॉप में डॉ. बी.के. राउत (सहायक प्रो.-मैकेनिकल विभाग) एवं श्री एम.एस. दासगुप्ता ने भी गरिमापूर्ण उपस्तिथि दर्ज कराई |


- ईशान, माधव, शशिन |