Friday, September 17, 2010

बॉसम मुख्य अतिथि – ‘ एक मुलाकात'

बॉसम 2010 के मुख्य अतिथि थे श्री गोपाल सैनी |
प्रस्तुत हैं उनसे हमारी बातचीत के कुछ अंश |

बी.एच.पी : हम बिट्स पिलानी में आपका स्वागत करते हैं |
श्री सैनी: धन्यवाद |

बी.एच.पी : बॉसम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रण पर आपकी प्रतिक्रिया क्या थी और बिट्स तक आपकी यात्रा कैसी रही?
श्री सैनी: मुझे गत वर्ष भी बॉसम पर आमंत्रण मिला था किन्तु किसी अनिवार्य कार्यवश मैं यहाँ आ न सका | किन्तु बिट्स एवं बॉसम की प्रसिद्धि हमेशा से आकर्षण का स्रोत रही हैं और इसलिए मैं यहाँ आकर अति प्रसन्न हूँ | यहाँ तक की यात्रा काफी कुशल रही |

बी.एच.पी : एथलेटिक्स से आपके लगाव ने आपको अर्जुन अवार्ड तक पहुँचाया ,लेकिन इसकी शुरुआत कहाँ से हुई तथा जीवन में आपके प्रेरणा स्रोत कौन रहे हैं ?
श्री सैनी : मैं अपने छात्र जीवन से ही एथलेटिक्स के प्रति काफी उत्साहित रहता था | प्राथमिक कक्षाओं में जब था, तब अपने प्रवर छात्रों को खेलते देख काफी प्रेरणा मिलती थी और एथलेटिक्स में कुछ कर दिखाने की इच्छा मन में उठी | तभी से ही प्रयास आरम्भ कर दिए | मैंने अपने घर के समीप स्थित रेलवे लाइन के बगल में ही, एथलेटिक ट्रैक के समान दौड़ना शुरू किया और खूब अभ्यास किया | इसके बाद स्कूल एवं कॉलेज स्तर पर प्रदर्शन किया और उपलब्धियां अर्जित कीं | मैंने सर्वप्रथम कालीकट में इंटर यूनीवर्सिटी स्पोर्ट्स में बड़ी प्रतियोगिताएं जीतीं तथा फिर कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा |

बी.एच.पी : टोक्यो में 1981 में ‘स्टीपलचेज़ रेस‘ में आपने भारत की ओर से राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किया | इस बात का हमें फक्र है | इस अवसर का आपके जीवन में क्या महत्व है ?
श्री सैनी : जीवन में जब एथलेटिक्स को अपना लक्ष्य बनाया तभी से कुछ शानदार करने की तमन्ना थी | इन खेलों में मैंने अपने लक्ष्य के कुछ पहलुओं को पूरा करने की पुरज़ोर कोशिश की और आशानुरूप अच्छा फल भी मिला | इस मौके का मेरे लिए अद्वितीय महत्व है जहाँ मैं अपने देश को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर आगे ले जाने में छोटा सा किरदार निभा सका | यह अवसर मेरे जीवन में बहुत प्रेरणादायक रहा है | इसी प्रेरणा ने मुझे अन्य एशियाडों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उत्साहित रखा |

बी.एच.पी: 1980 में ‘ मॉस्को समर ओलंपिक्स ‘ में भारत की ओर से प्रतिभागिता करना कैसा अनुभव था ?
श्री सैनी : ओलंपिक्स, खेलों का महाकुम्भ है और इनमें एक प्रतिभागी के तौर पर जाना किसी स्वप्न से कम न था | वर्षों का प्रयास और प्रबल इरादों ने मुझे वहाँ पहुँचाया और मैं काफी प्रसन्न और गौरवान्वित महसूस कर रहा था | वहाँ अन्य देश के श्रेष्ठ खिलाड़ियों से मुलाकात एवं मुकाबले से मन को हर्ष हुआ और काफी कुछ सीखने को भी मिला |

बी.एच.पी: आप के अनुसार बॉसम जैसे खेल उत्सवों का क्या महत्व होता है ?
श्री सैनी: इस प्रकार के खेल उत्सवों से विभिन्न कॉलेजों के छात्रों को आपस में मिलने-जुलने और मित्रता करने का अवसर मिलता है | साथ ही उन्हें अन्य खिलाड़ियों की संस्कृतियों के विषय में पता चलता है | और सबसे मुख्य बात ये छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए बहुत आवश्यक हैं | आज के इस तनाव भरे जीवन में खेल कूद एक सुगम विकल्प प्रदान करते हैं | शरीर तो स्वस्थ रहता ही है , इनसे छात्रों में एक स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना आती है और उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका मिलता है |

बी.एच.पी: आज देश में खेलों की दशा पर आप क्या टिप्पणी करेंगे ? क्या आप के विचार से IPL और अधिकाधिक क्रिकेट ने अन्य खेलों को प्रभावित किया है ?
श्री सैनी : आज अन्य खेलों की स्थिति के लिए खेल एवं खिलाड़ी दोनों जिम्मेदार हैं | जहाँ लोगों ने खेलों को आर्थिक लाभ का ज़रिया बना लिया है वहीं खिलाड़ी भी रातोंरात नाम और शौहरत की चाहत रखने लगे हैं | उन्हें समझना चाहिए की अन्य खेलों पर भी बराबर ध्यान से ही हम आगे बढ़ सकते हैं और देश को अंतर्राष्ट्रीय खेलों में आगें ले जा सकते हैं | खिलाड़ियों के लिए अन्य खेलो में भी पर्याप्त अवसर हैं, ज़रूरत है तो बस अपनी प्रतिभा पहचानने की, प्रयास और मज़बूत इरादों की | हमें सभी खेलों को जीवंत रखना है और खेलों को आर्थिक लाभ का ज़रिया नहीं बनने देना है |

बी.एच.पी : एक खिलाड़ी के तौर पर, आप के अनुसार, ‘कॉमनवेल्थ गेम्स ‘ का आयोजन भारत के लिए कैसा अवसर है ?
श्री सैनी : यह एक सुनहरा अवसर है | अन्तराष्ट्रीय स्तर के एरीना और कोर्ट्स तैयार किए गए हैं | आशा है कि हमें भारतीय एवं विदेशी खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन देखने को मिलेगा | इन खेलों से भारत सम्पूर्ण विश्व को एकता और खेलभावना का पैगाम दे सकेगा |

बी.एच.पी : आपने अपने बेशकीमती समय से हमारे लिए दो क्षण निकाले, इसके लिए धन्यवाद |

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